SMC kya hota hai? Kaise banwaye: विद्यालय प्रबंधन समिति को संक्षेप में सीएमसी (SMC) के नाम से जाना जाता है। यह बच्चों की शिक्षा से संबंधित है। निशुल्क तथा अनिवार्य शिक्षा अधिनियम के अंतर्गत 6 से 14 वर्ष की आयु के सभी बच्चों को शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए विद्यालय प्रबंधन समिति (SMC) का गठन किया जाता है।
भारत सरकार के निशुल्क तथा अनिवार्य शिक्षा अधिनियम 2009 के प्रावधान में कहा गया है कि प्रत्येक प्राथमिक तथा उच्च प्राथमिक विद्यालय में विद्यालय प्रबंधन समिति का गठन निशुल्क बाल शिक्षा अधिनियम 2009 के अंतर्गत किया जाएगा। इसके नियम 3 के अनुसार इसका गठन किया जाता है।
विद्यालय प्रबंधन समिति विद्यालय प्रबंधन समिति के संगठनों में के लिए कुल सदस्यों की संख्या 16 निर्धारित की गई है। जिसमें निम्नलिखित लोग शामिल हो सकते हैं –
- अध्यक्ष 1 – एक अध्यक्ष माता-पिता अभिभावक सदस्यों में से एक निर्वाचित
- उपाध्यक्ष 1 – एक माता-पिता अभिभावक सदस्यों में से एक निर्वाचित संयोजक
- विद्यालय का प्रधान / प्रभारी प्रधान पाठक/ कोषाध्यक्ष/ विद्यालय का वरिष्ठ शिक्षक समिति के 75% सदस्य
- 12 सदस्य बच्चों के माता-पिता या अभिभावक होंगे
- शेष 25% सदस्यों का चयन निम्नलिखित प्रकार से किया जाएगा
- 25% अर्थात 4 सदस्यों में से एक तिहाई अर्थात एक सदस्य विद्यालय का अध्यापक होगा। इसका चयन विद्यालय द्वारा ही किया जाएगा।
- अगला एक तिहाई सदस्य स्थानीय प्राधिकरण पंचायत नगरी संस्था से निर्वाचित सदस्य होगा, जिसका चयन स्थानीय प्राधिकरण द्वारा किया जाता है।।
- अगला 25% का एक तिहाई सदस्य अर्थात एक सदस्य स्थानीय विद्यालय के बालकों में से हो,गा जिसका चयन समिति में माता-पिता या अभिभावक द्वारा किया जाएगा।
इस तरह से एसएमसी (SMC kya hota hai? Kaise banwaye) शिक्षकों तथा अभिभावकों का एक साझा मंच मंच होता है। यह अभिभावकों द्वारा अपने बच्चों को उचित समाधान सुविधा तथा गुणवत्तापूर्ण सुविधा उपलब्ध कराने के लिए गठित किया गया है।इसमें माता-पिता अथवा अभिभावक की विद्यालय प्रबंधन के निर्णय मे सहभागिता होती है।
विद्यालय प्रबंधन समिति का उद्देश्य
विद्यालय प्रबंधन समिति द्वारा निम्नलिखित भूमिका निभाई जाती है:
- विद्यालय के क्रियाकलापों को मॉनिटर करना
- विद्यालय की विकास योजनाओं का निर्माण स्वीकृति एवं कोर्स बनाना, जिसमें विद्यालय के भवन एवं अन्य शैक्षिक सुविधाओं के कार्य किए जाते हैं।
- विद्यालय के लिए एक परीक्षण कोर्स बनाना जिससे राजकीय सहायता एवं अन्य माध्यमों से आर्थिक मदद की जा सके।
- दानदाताओं से आर्थिक सहायता प्राप्त करना
- विद्यालय के भान विस्तार एवं अन्य सुविधाओं के लिए राज्य सरकार की जन सहभागिता आधारित योजनाओं से संस्था, विकास कोष में योगदान देना तथा अनुदान आदि की निगरानी करना
- प्रारंभिक शिक्षा विभाग के अंतर्गत संचालित विभिन्न सहायता प्राप्त योजनाओं एवं कार्यक्रमों के तहत मिलने वाली धनराशि के सदस्यों को सुनिश्चित करना।
दोस्तों इस पोस्ट को पढ़ कर अब आप समझ गये होगें कि SMC kya hota hai? Kaise bnwaye, आप को हमारी पोस्ट कैसी लगी कमेंट बॉक्स मे कमेंट करे।